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300 रुपये की सैलरी पाने वाला शख्स कैसे बन गया 62 हजार करोड़ का मालिक
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300 रुपये की सैलरी पाने वाला शख्स कैसे बन गया 62 हजार करोड़ का मालिक
  • Published_at:2017-07-29
  • Category:Entertainment
  • Channel:Xpose News
  • tags: Bollywood
  • description: 300 रुपये की सैलरी पाने वाला शख्स कैसे बन गया 62 हजार करोड़ का मालिक कभी आपने सोचा है कि 300 रुपये सैलरी पाने वाला व्यक्त‍ि करोड़पति बन सकता है. हम यहां आपको एक ऐसे व्यक्त‍ि के सफलता की दास्तां बता रहे हैं, जिसकी शुरुआती सैलरी 300 रुपये थी और देखते ही देखते वह 62 हजार करोड़ रुपये का मालिक बन गया.हम बात कर रहे हैं धीरूभाई अंबानी की. बिजनेस की दुनिया के बेताज बादशाह और जिसके पद चिन्हों पर चलकर आज मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी सफल बिजनेसमैन की कतार में खड़े हो गए हैं, उनकी सैलरी कभी 300 रुपये थी. धीरुभाई गुजरात के छोटे से गांव चोरवाड़ के रहने वाले थे. उनके पिता हीराचंद गोवरधनदास स्कूल में शिक्षक थे. लेकिन घर की माली हालत ठीक नहीं थी.मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यही वजह थी कि धीरूभाई ने हाईस्कूल की पढ़ाई खत्म करने के बाद ही छोटे-मोटे काम शुरू कर दिए.लेकिन इससे परिवार का काम नहीं चल पाता था. धीरूभाई की उम्र 17 साल थी. पैसे कमाने के लिए वो साल 1949 में अपने भाई रमणिकलाल के पास यमन चले गए. जहां उन्हें एक पेट्रोल पंप पर 300 रुपये प्रति माह सैलरी की नौकरी मिल गई. कंपनी का नाम था 'ए. बेस्सी एंड कंपनी'. कंपनी ने धीरूभाई के काम को देखते हुए उन्हें फिलिंग स्टेशन में मैनेजर बना दिया.कुछ साल यहां नौकरी करने के बाद धीरूभाई साल 1954 में देश वापस चले आए. यमन में रहते हुए ही धीरूभाई ने बड़ा आदमी बनने का सपना देखा था. इसलिए घर लौटने के बाद 500 रुपये लेकर मुंबई के लिए रवाना हो गए.कुछ दिनों तक बाजार को करीब से देखने के बाद धीरूभाई को यह समझ में आ गया कि भारत में पोलिस्टर की मांग सबसे ज्यादा है और विदेशों में भारतीय मसालों की.उन्होंने दिमाग लगाया और एक कंपनी रिलायंस कॉमर्स कॉरपोरेशन की शुरुआत की, जिसने भारत के मसाले विदेशों में और विदेश का पोलिस्टर भारत में बेचने की शुरुआत कर दी. अपने पहले बिजनेस की शुरुआत के लिए धीरूभाई ने 350 वर्ग फुट का कमरा, एक मेज, तीन कुर्सी, दो सहयोगी और एक टेलिफोन के साथ की थी.साल 1966 में उन्होंने VIMAL ब्रांड के साथ कपड़ों के बिजनेस में कदम रखा. कुछ ही वर्षों में धीरूभाई की ये कंपनी देश की जानी-मानी कंपनी बन गई. लेकिन बांबे डाइन तब उनसे आगे थी. धीरूभाई के बारे में ऐसा कहा जाता है कि वह कई बार सरकारी नियमों की अनदेखी भी कर देते थे. कामयाबी की राह में मुश्क‍िलें तो कई आईं पर धीरूभाई रुके नहीं.1992 में जैसे ही देश में लाइसेंस राज खत्म हुआ, रिलायंस ने तेजी से तरक्की करना शुरू कर दिया. साल 1992 में ग्लोबल मार्केट से फंड जुटाने वाली रिलायंस देश की पहली कंपनी बन गई. साल 200 के आसपास रिलायंस पेट्रो केमिकल और टेलीकॉम सेक्टर में भी आ गई.2000 के दौरान ही अंबानी देश के सबसे रईस व्‍यक्ति बनकर भी उभरे. हालांकि 6 जुलाई 2002 को धीरूभाई अंबानी की मौत हो गई. लेकिन देश ही नहीं दुनिया के लिए वो प्रेरणा बन गए. अपने बच्चों को बिजनेस का गुर सिखाया और सेहत का महत्व भी बताया.
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